डायरी

1994यहाँ मैं अपनी पुरानी डायरियों से कुछ चुनिन्दा पन्ने साझा करना चाहूँगा। डायरी लिखना हालाँकि मेरी आदत में शुमार नहीं था/है, फिर भी निवेदिता निलयम् के दिनों (1992-93) और फिर भारत-भ्रमण (1993-96) के दौरान तकरीबन रोज़ाना लिखा है।

 ये सिर्फ रोजनामचा न होकर अक्सर कविता, कहानी वगैरह की शक्ल में भी लिखा गया है।
अापके सुझावों से हौंसला मिलेगा....
शुभकामना
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रोशनी में ही तो
गुम है
सब कुछ।
काश!!
एक दीप जले भीतर भी

(अक्तूबर 13, 1994; निवेदिता निलयम्, वर्धा)
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