Friday, November 26, 2010

सेवाग्राम आश्रम में सात दिन

गाँधीजी सारी दुनिया के लिए एक आदर्श हैं। आज अनेक लोग यह जानना-समझना चाहते हैं कि सत्य और अहिंसा जैसे शाश्वत मूल्यों से उपजी आध्यात्मिक प्रेरणा के बल पर कैसे उन्होंने हज़ारों-लाखों लोगों को आन्दोलित किया, साम्राज्यवाद के खिलाफ एक राजनीतिक संघर्ष का नेतृत्व किया, उसे दिशा दी और सफल बनाया। व्यक्ति, समाज, पर्यावरण, राजनीति, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, मानवीय सम्बन्ध, अध्यात्म... मनुष्य जीवन का शायद ऐसा कोई पहलू नहीं, जिसपर उन्होंने विचार न किया हो। उनका जीवन हमें एक पूर्ण मनुष्य के रूप में समग्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अनेक लोग चाहते हैं कि वे गाँधी विचार के सानिध्य में कुछ समय बिताएँ, उसे नज़दीक से जानें-समझें और उन मूल्यों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें जिन्हें गाँधीजी ने अपनाया था। यह एक व्यक्ति के रूप में हमें गुणात्मक रूप से एक बेहतर जीवन जीने का अवसर तो प्रदान करेगा ही, साथ ही साथ यह हमें समाज-जीवन की विविध समस्याओं को समझने और उनके समाधान के प्रयास करने की भी प्रेरणा देगा।
सेवाग्राम आश्रम
सेवाग्राम आश्रम गाँधीजी की कर्मस्थली रही है। 1936 में वर्धा (महाराष्ट्र) के निकट गाँधीजी ने सेवाग्राम आश्रम स्थापित किया। आज एकमात्र यही स्थान बचा है जहाँ गाँधीजी के जीवन-मूल्यों के आधार पर 'आश्रम जीवन' कायम है। जैविक खेती, गौशाला, चरखे पर सामूहिक कताई, प्रार्थना जैसी नियमित गतिविधियों के साथ यहाँ आश्रम जीवन चलता है। साथ ही, आश्रम में रहने वाले साधक स्थानीय उत्पादन के आधार पर स्वावलम्बन का प्रयोग भी कर रहे हैं। यहाँ आप ग्रामोद्योग आधारित सादगीपूर्ण स्वावलम्बी जीवन का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, आश्रम में देश-विदेश में चलने वाली विविध गतिविधियों पर संवाद भी होता है।
आश्रम में सात दिन
जो भी व्यक्ति गाँधी विचार के सानिध्य में आश्रम जीवन जीते हुए जीवन और समाज से जुड़ी समस्याओं पर विचार करना चाहता है उसका स्वागत है। यह सानिध्य एक अध्ययन शिविर के रूप में होगा, जिसकी दिनचर्या नियत होगी। अनुभवी व्यक्तियों के मागदर्शन, अध्ययन सामग्री तथा मुक्त चर्चा के रूप में हम अध्ययन करेंगे। साथ ही हम आश्रम दिनचर्या का भी हिस्सा बनेंगे, जिसमें सामूहिक सफाई, श्रमकार्य और प्रार्थना शामिल है। इन सात दिनों में हम जीवन-मूल्य, शिक्षा, आर्थिक प्रश्न आदि विषयों पर केन्द्रित अध्ययन करेंगे। यह अध्ययन मूलत: जिज्ञासु छात्रों, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं और खोजी युवाओं की अपेक्षाओं को ध्यान में रख कर किया जाएगा। प्रयास रहेगा कि इस शिविर के माध्यम से व्यक्ति, समाज और प्रकृति के प्रति समझ स्पष्ट हो और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लिए यह उपयोगी हो। इससे आगे, अधिक गहन अध्ययन की जिज्ञासा जगाना भी इसका एक उद्देश्य है। प्रत्येक वर्ष में सात दिनों के चार शिविर होंगे। इस श्रृंखला में पहला शिविर 2 से 9 फरवरी 2011 को होगा।
अपेक्षा
शिविर में लगभग 20 व्यक्तियों के लिए स्थान है। यह शिविर सभी के लिए खुला है। इसमें संवाद का माध्यम हिन्दी होगा, मगर पठन-सामग्री हिन्दी, मराठी, गुजराती, अग्रेज़ी आदि भाषाओं में हो सकती है। आपसे अपेक्षा की जाती है कि शिविर के लिए आवेदन करने से पूर्व अपनी तैयारी जाँच लें कि आप इतना कर सकें -
* रोज़ाना लगभग 6-7 घण्टे शिक्षण-सत्र।
* रोज़ाना लगभग 10-15 पन्नों की लिखित सामग्री का अध्ययन व उस पर चर्चा।
* आश्रम दिनचर्या का पालन, जिसमें प्रार्थना, सफाई व श्रम कार्य शामिल है।
* व्यसनों का त्याग।
* सादा भोजन।
औपचारिक रूप से शिविर सात दिनों का ही है किन्तु यदि आप शिविर समाप्ति के बाद आश्रम जीवन का अनुभव लेने के लिए तथा मुक्त रूप से अध्ययन करने के लिए सेवाग्राम में कुछ अधिक समय रुकना चाहें तो आपका स्वागत है।
सम्पर्क
इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह शिविर आपके जीवन का एक अनमोल अनुभव सिध्द होगा। यदि आपको इसके विषय में और अधिक जानकारी चाहिए हो तो कृपया शिविर आयोन समिति के अधोहस्ताक्षरकर्ता साथियों से सम्पर्क करे। शिविर में शामिल होने लिए कृपया अपना परिचय इनमें से किसी एक पते पर भेजें –
(1) विनोद स्वरूप
मंत्री, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान
सेवाग्राम 442102
वर्धा (महाराष्ट्र)
फोन - 07152-284753 (कार्यालय)
(2) अमित
एकलव्य परिसर
मालाखेडी,
होशंगाबाद 461002
मध्य प्रदेश
amt1205@gmail.com

आपका पत्र मिलने के बाद हम उस पर विचार करेंगे और आपको सूचित करेंगे।

विनीत

अमित
(+919424471247)

अविनाश काकडे
(+919730216700)

आनन्द योगी
(+9197652098452,+919404217198)

मालती देशमुख
(+919420465597)

विनोद स्वारूप
(+919422003690)

सत्यप्रकाश भारत
(+919990627909)


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2 comments:

ZEAL said...

बढ़िया जानकारी !

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|